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Book 3

उपरोति गिना सूयाव मसद्धांि से ली गयी है ककन्िु स्कन्द पुराि में इसकी संरचना कु छ मभन्न ममलिी है | उसके अनुसार १५ तनमेष = १ काष्ठा ३० काष्ठा = १ कला ३० कला = १ मुहूिव ३० मुहूिव = १ हदन राि इसके अनुसार १ हदन राि = ३० x ३० x ३० x १५ = ४०५०० तनमेष यहाूँ हम सूयव मसद्धांि को ज्यादा प्रमाणिि मानिे हैं तयोंकक र्ो वर्शुद्ध ज्योतिष िन्थ है और उसकी गिना भी ज्योतिषी द्र्ारा ही की गयी है िबकक स्कन्द पुराि में माि अनुर्ाद ममलिा है िो गलि भी हो सकिा है तयोंकक कोई आर्श्यक नहीं की अनुर्ादक ज्योतिषी भी हो | अब १ हदन = २१६०० प्राि = ८६४०० सेकण्ड्स = ९७२००० तनमेष १ प्राि = ९७२०००/२१६०० = ४५ तनमेष १ सेकं ड = ९७२०००/८६४०० = ११.२५ तनमेष सौर मास, चन्र मास, नाक्षरमास और सावन मास – ये ही मास के चार भेद हैं । सौरमास का आरम्पभ सूयव की संक्ांति से होिा है । सूयव की एक संक्ांति से दूसरी संक्ांति का समय ही सौरमास है । (सूयव मंडल का कें द्र जिस समय एक रामश से दूसरी रामश में प्रर्ेश करिा है, उस समय दूसरी रामश की संक्ांति होिी है | एक संक्ांति से दूसरी संक्ाति के समय को सौर मास कहिे हैं | १२ रामशयों के हहसाब से १२ ही सौर मास होिे हैं | ) यह मास प्रायः िीस-एकिीस हदन का होिा है । कभी कभी उनिीस और बत्िीस हदन का भी होिा है । चन्द्रमा की ह्र्र्ास र्ृवद्ध र्ाले दो पक्षों का िो एक मास होिा है, र्ही चन्द्र मास है । यह दो प्रकार का होिा है – शुतल प्रतिपदा से आरम्पभ होकर अमार्स्या को पूिव होने र्ाला ‘िमांि’ मास मुख्य चंद्रमास है । कृ ष्ि प्रतिपदा से पूणिवमा िक पूरा होने र्ाला गौि चंद्रमास है । यह तिचथ की ह्र्र्ास र्ृवद्ध के अनुसार २९, २८, २७ एर्ं ३० हदनों का भी हो िािा है । जििने हदनों में चंद्रमा अश्र्नी से लेकर रेर्िी के नक्षिों में वर्चरि करिा है, र्ह काल नक्षिमास कहलािा है । यह लगभग २७ हदनों का होिा है । सार्न मास िीस हदनों का होिा है । यह ककसी भी तिचथ से प्रारंभ होकर िीसर्ें हदन समा्ि हो िािा है । प्रायः व्यापार और व्यर्हार आहद में इसका उपयोग होिा है । इसके भी सौर और चन्द्र ये दो भेद हैं । सौर सार्न मास सौर मास की ककसी भी तिचथ को प्रारंभ होकर िीसर्ें हदन पूिव होिा है । चन्द्र

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