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Book 3

र् ् दक्षक्षि त्रबन्दुओं को लम्पबर्ि काटिा है | दक्षक्षि को यम भी कहिे हैं | इस प्रकार िो र्ृत्ि ककसी स्थान के दक्षक्षि से उत्िर िक मशरोत्रबंदु से होिा हुआ िाए र्ह याम्पयोत्िर र्ृत्ि हुआ | उन्निांश (Altitude) – ककसी आकाशीय वपंड की प्रेक्षक के क्षक्षतिि र्ृत्ि से लम्पबर्ि कोिीय ऊं चाई को उन्निांश कहिे हैं अथावि दशवक को र्ह वपंड ककस कोि की ऊं चाई पर हदखाई दे रहा है | जिस उद्र्ृत्ि पर र्ह वपंड है, उस उद्र्ृत्ि को चाप का कोि िो र्ह वपंड से क्षक्षतिि र्ृत्ि िक बना रही है उसे उन्निांश कहिे हैं | होरा कोि – पृ्र्ी ३६०० में अपना एक चतकर लगािी है अथावि ३६०० =२४ घंटे या १५० = १ घंटा | इस प्रकार हम कह सकिे हैं सूयव १ घंटे में १५० घूमिा हैं और कहें िो ४ ममनट में सूयव १० घूमिा है | इस प्रकार सूयव के अंशों को घंटे में बदलने पर समय का माप आ िािा है | इसमलए यह सूयव का समय कोि या होरा कोि कहलािा है | नक्षि काल या सम्पपाि काल (Sidereal Period) – िह या आकाशीय वपंड एक जस्थर िारे के सामने से चलकर पुनः उसी िारे के सामने आने में जििना समय लेिा है र्ह उसका नक्षि काल कहलािा है | युति (Conjunction) – बाह्य िहों और पृ्र्ी के मध्य सूयव हो और िह र्् सूयव दोनों के अंश सामान हों िब िह की युति होिी है | अंियुविी या तनकृ ष्ट युति (inferior Conjunction) – िब कोई आिंररक िह (बुध और शुक्) सूयव और पृ्र्ी के मध्य में हो अथावि िह के एक ओर सूयव और दूसरी ओर पृ्र्ी हो और सूयव र् ् िह दोनों के अंश सामान हों र्ह उस िह की अंियुविी होिी है | बहहयुविी (Superior Conjunction) – िब आिंररक िह और सूयव दोनों के अंश सामान हों और िह र् पृ्र्ी के मध्य सूयव हो िब र्ह उस िह की बहहयुविी होिी है | चचि – १३

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