Please activate JavaScript!
Please install Adobe Flash Player, click here for download

Book 3

पूणाि तिथथयााँ - दोनों पक्षों की पंचमी, दशमी और पूणिवमा और अमार्स (५,१०,१५,३०) पूिाव तिचथ कहलािी हैं | तिचथ गंडाि काल अथावि अंतिम १ घटी या २४ ममनट पूर्व सभी प्रकार के मलए मंगल कायों के मलए ये तिचथयाूँ शुभ मानी िािी हैं | इनके अलार्ा भी कु छ तिचथयाूँ होिी हैं | १. युगादी तिथथयााँ - सियुग की आरंभ तिचथ - कातिवक शुतल नर्मी, िेिा युग आरम्पभ तिचथ - बैसाख शुतल िृिीया, द्र्ापर युग आरम्पभ तिचथ - माघ कृ ष्ि अमार्स्या, कमलयुग की आरंभ तिचथ - भाद्रपद कृ ष्ि ियोदशी | इन सभी तिचथयों पर ककया गया दान-पुण्डय-िाप अक्षि और अखंड होिा है | इन तिचथयों पर स्कन्द पुराि में बहुि वर्स्िृि र्िवन है | २. भसद्धा तिथथयााँ - इन सभी तिचथयों को मसवद्ध देने र्ाली माना गया है | इसका ऐसा भी अथव कर सकिे हैं कक इनमे ककया गया कायव मसवद्ध प्रदायक होिा है | मंगलर्ार ३ ८ १३ बुधर्ार २ ७ १२ गुरूर्ार ५ १० १५ शुक्र्ार १ ६ ११ शतनर्ार ४ ९ १४ पवि तिथथयााँ - कृ ष्ि पक्ष की िीन तिचथयाूँ अष्टमी, चिुदवशी और अमार्स्या िथा शुतल पक्ष की पूणिवमा तिचथ और संक्ांति तिचथ पर्व कहलािी है | इन्हें शुभ मुहूिव के मलए छोड़ा हदया िािा है | प्रदोष तिथथयााँ - द्र्ादशी तिचथ अधव रात्रि पूर्व, षष्ठी तिचथ रात्रि से ४ घंटा ३० ममनट पूर्व एर्ं िृिीया तिचथ रात्रि से ३ घंटा पूर्व समा्ि होने की जस्थति में प्रदोष तिचथयाूँ कहलािी हैं | इनमें सभी शुभ कायव र्जिवि हैं | द्धा, ववष एवं हुिाषन तिथथयााँ - र्ार/तिचथ रवर्र्ार सोमर्ार मंगलर्ार बुधर्ार गुरूर्ार शुक्र्ार शतनर्ार दग्धा १२ ११ ५ ३ ६ ८ ९ वर्ष ४ ६ ७ २ ८ ९ ७ हुिाशन १२ ६ ७ ८ ९ १० ११ उपरोति सभी र्ारों के नीचे मलखी तिचथयाूँ दग्धा, वर्ष, हुिाशन तिचथयों में आिी हैं | यह सभी तिचथयाूँ अशुभ और हातनकारक होिी हैं |

Seitenübersicht