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Book 3

४. बुध प्रभावर्ि तिचथयाूँ - ५,१४,२३ ५. गुरु प्रभावर्ि तिचथयाूँ - ३,१२,२१,३० ६. शुक् प्रभावर्ि तिचथयाूँ - ६,१५,२४ ७. शतन प्रभावर्ि तिचथयाूँ - ८,१७,२६ करण - तिचथ या ममति के अधव भाग को करि कहिे हैं | एक तिचथ में २ करि आिे हैं | अिः मास की ३० तिचथयों में करिों की ६० बार पुनरार्ृजत्ि होिी है | कु ल ११ प्रकार के करि होिे हैं | इनमें चार करि (ककन्सिुघ्न, शकु न, चिुष्पद और नाग) जस्थर होिे हैं | शेष ७ करिों (बालर्, िैतिल, र्णिि, बर्, कौलर्, गरि और वर्जष्ट) की मास में ८-८ बार पुनरार्ृजत्ि होिी है | जस्थर करिों में पहला करि ककन्सिुघ्न सबसे पहले शुतल पक्ष की प्रतिपदा को आिा है | शेष िीन जस्थर करि शकु न, चिुष्पद और नाग क्मशः कृ ष्िपक्ष की ियोदशी, चिुदवशी और अमार्स को आिे हैं | यह चारों करि अशुभ माने गए हैं | इनमें शुभ कायव नहीं करने चाहहए | आठर्ें करि वर्जष्ट को ही भद्रा कहिे हैं | भद्रा भी सभी शुभ कायों के मलए त्याज्य है | वर्शेषिः िब चंद्रमा ककव , मसंह, कु म्पभ और मीन रामश में आिा है | इस समय भद्रा पृ्र्ी पर तनर्ास करिी है | हमने नक्षिों की चचाव अध्याय १ में संक्षक्ष्ि में की थी | यहाूँ किर से हम उसकी आगे चचाव करिे हैं पर यहाूँ भी हम थोडा ही मलखेंगे और आगे िैसे िैसे इसका सन्दभव आएगा, इसे और वर्स्िार देंगे | नक्षिों को ७ श्रेणियों में दृष्टी के आधार पर, ३ श्रेणियों में, शुभाशुभ िल के आधार पर ३ श्रेणियों में िथा चोरी गयी र्स्िु की प्राज्ि/अप्राज्ि के आधार पर ४ श्रेणियों में बांटा गया है | वर्मशष्ट पहचान र्ाले कु ल १७ नक्षिों में ५ नक्षि पञ्चसंज्ञक, ६ नक्षि मूलसंज्ञक और ६ नक्षिों की कु छ घटी गंड नक्षि की श्रेिी में आिी हैं | स्त्वभाव के आधार पर - नक्षिों की स्र्भार् के आधार पर ७ श्रेणियों होिी हैं | ध्रुर्, चंचल, उि, ममश्र, क्षक्षप्रा, मृदु और िीक्ष्ि | १. ध्रुव (क्स्त्थर) नक्षर - ४,१२,,२१,२६ चार नक्षि जस्थर नक्षि होिे हैं | भर्न तनमावि कायव, कृ वष कायव, बाग़ बगीचे लगाने, गृह प्रर्ेश, नौकरी ज्र्ाइन करने, उपनयन संस्कार आहद के मलए शुभ होिा है | २. चंचल (चर) स्त्वभाव - ७,१५,२२,२३,२३ चंचल नक्षि होिे हैं | घुड़सर्ारी करना, मोटर या कार आहद चलाना सीखना, मशीन चलाना, यािा करना आहद गतिशील कायों के मलए शुभ होिे हैं |

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