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Book 3

मासशून्य तिथथयााँ - ऐसा कहा िािा है कक इन तिचथयों पर कायव करने से कायव में उस कायव में सिलिा प्रा्ि नहीं होिी | शुतल पक्ष कृ ष्ि पक्ष चैि ८,९ ८,९ बैसाख १२ १२ ज्येष्ठ १३ १४ आषाढ़ ७ ६ श्रार्ि २,३ २,३ भाद्रपद १,२ १,२ अजश्र्न १०,११ १०,११ कातिवक १४ ५ मागवशीषव ७,८ ७,८ पौष ४,५ ४,५ माघ ६ ६ िाल्गुन ३ ३ वृवद्ध तिथथ - सूयोदय के पूर्व प्रारंभ होकर अगले हदन सूयोदय के बाद समा्ि होने र्ाली तिचथ 'र्ृवद्ध तिचथ' कहलािी है | इसे 'तिचथ र्ृवद्ध' भी कहिे हैं | ये सभी मुहूिव के मलए अशुभ होिी है | क्षय तिथथ - सूयोदय के पश्चाि प्रारंभ होकर अगले हदन सूयोदय से पूर्व समा्ि होने र्ाली तिचथ 'क्षय तिचथ' कहलािी है | इसे 'तिचथ क्षय' भी कहिे हैं | यह तिचथ सभी मुहूिों के मलए छोड़ दी िािी है | गंड तिथथ - सभी पूिव तिचथयों (५,१०,१५,३०) की अंतिम २४ ममनट या एक घटी िथा नन्दा तिचथयों (१,६,११) की प्रथम २४ ममनट या १ घटी गंड तिचथ की श्रेिी में आिी हैं | इन तिचथयों की उति घटी को सभी मुहूिों के मलए छोड़ हदया िािा है | तिथथ श्रेणणयां - के लेंडर की तिचथयाूँ प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से िहों से प्रभावर्ि रहिी हैं | अिः इन िहों की संख्या के अनुसार इन तिचथयों को ७ श्रेणियों में बांटा िा सकिा है | १. सूयव प्रभावर्ि तिचथयाूँ - १, १०, १९, २८ और ४,१३, २२, ३१ २. चन्द्र प्रभावर्ि तिचथयाूँ - २,११,२०, २९, और ७,१६,२५ ३. मंगल प्रभावर्ि तिचथयाूँ - ९, १८, २७

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