Please activate JavaScript!
Please install Adobe Flash Player, click here for download

Book 3

ऐसा र्ृत्ि जिस पर नौ िह घुमिे हुए प्रिीि होिे हैं (ज्योतिष में सूयव को भी िह ही माना गया है ) राशीचक् कहलािा है | इसे हम ऐसे भी कह सकिे हैं की पृ्र्ी के पूरे गोल पररपथ को बारह भागों में वर्भाजिि कर उन भागों में पड़ने र्ाले आकाशीय वपंडों के प्रभार् के आधार पर पृ्र्ी के मागव में बारह ककमी के पत्थर काल्पतनक रूप से मने गए हैं | अब हम िानिे हैं की एक र्ृत्ि ३६० अंश में बांटा िािा है | इसमलए एक राशी िो रामशचक् का बारहर्ां भाग है, ३० कलाओं की हुई | यानी एक रामश ३० कलाओं की होिी है |रामशयों का नाम उनकी कलाओं सहहि इस प्रकार है | अंश राशी ०-३० मेष ३०-६० र्ृष ६०-९० ममथुन ९०-१२० ककव १२०-१५० मसंह १५०-१८० कन्या १८०-२१० िुला २१०-२४० र्ृजश्चक २४०-२७० धनु २७०-३०० मकर ३००-३३० कु म्पभ ३३०-३६० मीन

Seitenübersicht