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Book 3

३. उग्र (क्रू र) नक्षर - २,१०,११,२०,२५ पांच नक्षि उि होिे हैं | भट्टे लगाना, गैस िलाना, सिवरी करना, मार पीट करना, अस्ि-शस्ि चलाना, व्यापार करना, खोि कायव करना, शोध कायव करना आहद हेिु शुभ होिे हैं | ४. भमश्र (साधारण) नक्षर - ३,१६ दो नक्षि ममश्र होिे हैं | लोहा भट्टी र् गैस भट्टी के कायव, भाप इंिन, त्रबिली सम्पबन्धी कायव, दर्ाइयां बनाने आहद हेिु शुभ होिे हैं | ५. क्षक्षप्रा (लघु) नक्षर - १,८,१३ र् अमभिीि ये चार नक्षि क्षक्षप्रा होिे हैं | नृत्य, गायन, रूप सज्िा, नाटक, नौटंकी आहद कायव करना, दूकान करना, आभूषि बनाना, मशक्षा कायव, लेखन, प्रकाशन हेिु शुभ होिे हैं | ६. मृदु (भमरवि) नक्षर - ५,१४,१७,२७ ये चार नक्षि मृदु नक्षि होिे हैं | कपडे बनाना, मसलाई कायव, कपडे पहनना, खेल कायव, आभूषि बनाना एर्ं पहनना, व्यापार करना, सेर्ा कायव, सत्संगति आहद हेिु शुभ होिे हैं | ७. िीक्ष्ण (दारुण) नक्षर - ६,९,१८,१९ ये चार नक्षि िीक्ष्ि अथावि दुखदायी होिे हैं | हातनकारक कायव करना, लड़ाई झगडे करना, िानर्रों को र्श में करना, काला िादू सीखना, मैस्मेररस्म आहद कायों हेिु शुभ माने गए हैं | दृष्टी के आधार पर - दृष्टी के आधार पर नक्षिों की िीन श्रेिी होिी हैं | अधोमुखी, उध्र्वमुखी र् त्रियंगमुखी | १. अधोमुखी नक्षर - नीचे की ओर दृष्टी रखने र्ाले २,३,९,१०,११,१६,१९,२०,२५ कु ल ९ नक्षि हैं | कु आूँ, िालाब, मकान की नीर्, बेसमेंट, सुरंग बनर्ाना, खान खोदना, पानी र् सीर्र के पाईप डालना िैसे भूममगि कायों के मलए शुभ होिे हैं | २. उध्विमुखी नक्षर - ऊपर की दृष्टी रखने र्ाले (४,६,८,१२,२१,२२,२३,२४,२६) कु ल ९ नक्षि होिे हैं | मंहदर तनमावि, बहुमंजिली भर्न तनमावि, मूिी स्थापना, ध्र्ि िहराना, राज्यामभषेक, मंडप बनर्ाना, बाग़ लगर्ाना, पहाड़ पर चढ़ना आहद कायों हेिु शुभ होिे हैं | ३. त्ररयंगमुखी नक्षर - दायें, बाएं र् सम्पमुख दृष्टी रखने र्ाले १,५,७,१३,१४,१५,१७,१८,२७ कु ल ९ नक्षि हैं | घुड़सर्ारी करना, मोटर गाडी चलाना, सड़क बनर्ाना, पशु खरीदना, नार् चलाना, कृ वष करना, आर्ागमन आहद कायों हेिु शुभ माने गए हैं | शुभाशुभ िल के आधार पर - इनमें िीन श्रेिी होिी हैं | शुभ, मध्यम एर्ं अशुभ |

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