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Book 3

अध्याय 1 लोकानामन्िकृ त्कालः कालोन्यः कल्नात्मकः | स द्ववधा स्त्थूल सुक्ष्मत्वान्मूिि श्चामूिि उच्यिे || अथािि - एक प्रकार का काल संसार को नाश करिा है और दुसरे प्रकार का कलानात्मक है अथावि िाना िा सकिा है | यह भी दो प्रकार का होिा है (१) स्थूल और (२) सूक्ष्म | स्थूल नापा िा सकिा है इसमलए मूिव कहलािा है और जिसे नापा नहीं िा सकिा इसमलए अमूिव कहलािा है | ज्योतिष में प्रयुक्ि काल (समय) के ववभभन्न प्रकार : प्राि (असुकाल) - स्र्स््य मनुष्य सुखासन में बैठकर जििनी देर में श्र्ास लेिा र्् छोड़िा है, उसे प्राि कहिे हैं | ६ प्राि = १ पल (१ वर्नाड़ी) ६० पल = १ घडी (१ नाडी) ६० घडी = १ नक्षि अहोराि (१ हदन राि) अिः १ हदन राि = ६०*६०*६ प्राि = २१६०० प्राि इसी प्रकार यहद आि के पररप्रेक्ष्य में देखें िो १ हदन राि = २४ घंटे = २४ x ६० x ६० = ८६४०० सेकण्ड्स अिः १ प्राि = 86400/२१६०० = ४ सेकण्ड्स अिः एक स्र्स््य मनुष्य को सुखासन में बैठकर श्र्ास लेने और छोड़ने में ४ सेकण्ड्स लगिे हैं | प्राचीन काल में पल का प्रयोग िोलने की इकाई के रूप में भी ककया िािा था | १ पल = ४ िौला (जिस समय में एक वर्शेष प्रकार के तछद्र द्र्ारा घहटका यंि में चार िौले िल चढ़िा है उसे पल कहिे हैं | ) जििने समय में मनुष्य की पलक चगरिी है उसे तनमेष कहिे हैं | १८ तनमेश = १ काष्ठा ३० काष्ठा = १ कला = ६० वर्कला ३० कला = १ घहटका २ घहटका = ६० कला = १ मुहूिव ३० मुहूिव = १ हदन इस प्रकार १ नक्षि हदन = ३० x २ x ३० x ३० x 18 = ९७२००० तनमेष

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