काजन्िर्ृत्ि (Ecliptic) – सूयव के िारों के बीच एक र्षव के आभासीय भ्रमि मागव को इसकी कक्षा कहिे हैं | िब इस कक्षा को खगोल में िै लाया िार्े िो खगोल के िाल पर एक बड़ा र्ृत्ि बनिा है उसे काजन्िर्ृत्ि कहिे हैं | मॉडनव science में पृ्र्ी सूयव की पररक्मा करिा है न कक सूयव पृ्र्ी की (इसको टाल्मी ने माना कक जिसे हम सूयव का आभासीय भ्रमि कहिे हैं र्ह पृ्र्ी का भी आभासीय भ्रमि हो सकिा है ककन्िु यहाूँ हम Modern Science को ही प्रमाि मानेगे ) इस कारि क्ांतिर्ृत्ि की पररभाषा यह भी होिी है कक पृ्र्ी के र्ावषवक भ्रमि मागव को अनन्ि आकाश में िै लाने पर जिन स्थानों पर र्ह खगोल को काटे उस र्ृत्ि को काजन्िर्ृत्ि कहिे हैं | यह काजन्िर्ृत्ि वर्षुर्र्ृत्ि (celestial Equator) पर २३० २७’ का कोि बनािा है | चचि – १० भचक् या रामशचक् – काजन्िर्ृत्ि के दोनों ओर उत्िर और दक्षक्षि में ९० की पट्टी को भचक् कहिे हैं | इसमें र्ृत्ि पर काजन्िर्ृत्ि के ९० उत्िर में और र्् ल काजन्िर्ृत्ि के ९० दक्षक्षि में है | इसी पट्टी में चंद्रमा र्् सारे िह भ्रमि करिे हैं | मैंने बहुि प्रयास ककया ककन्िु इसका चचि में नहीं बना पा रहा हूूँ, मसिव समझने भर के मलए मैंने ऊपर र्ाले चचि को थोडा बदला है |