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Book 3

योग स्र्ामी योग स्र्ामी योग स्र्ामी योग स्र्ामी `१. वर्ष्कम्पभ यम २. प्रीति वर्ष्िु ३. आयुष्मान चंद्रमा ४. सौभाग्य ब्रह्मा ५. शोभन बृहस्पति ६. अतिगंड चंद्रमा ७. सुकमाव इंद्र ८. धृति िल ९. शूल सपव १०. गंड अजग्न ११. र्ृवद्ध सूयव १२. ध्रुर् भूमम १३. व्याघाि र्ायु १४. हषवि भग १५. र्ज्र र्रुि १६. मसवद्ध गिेश १७. व्यतिपािरूद्र १८. र्रीयन कु बेर १९. पररघ वर्श्र्कमाव २०. मशर् ममि २१. मसद्ध कातिवके य २२. साध्य सावर्िी २३. शुभ लक्ष्मी २४. शुतल पार्विी २५. ब्रह्म अजश्र्नीकु मार२६. एन्द्र वपिर २७. र्ैधृति हदति पररध योग का आधा भाग त्याज्य है, उत्िराधव शुभ है | वर्ष्कम्पभ योग की प्रिम पांच घहटकाएं, शूल योग की प्रथम साि घहटकाएं, गंड और व्याघाि योग की प्रथम छह घहटकाएं, हषवि और र्ज्र योग की नौ घहटकाएं एर्ं र्ैधृति और व्यतिपाि योग समस्ि पररत्यज्य है | ल्न िाभलका के १२ भाव उत्िर भरि में लग्न िामलका नीचे हदए गए चचि के अनुसार बनाई िािी है | इसमें िो बारह खाने बने हैं उनमें चचि की िरह कें द्र के प्रथम भार् से प्रारंभ करके घडी की सुइ की उलटी हदशा में चलिे हुए बारहर्ें भार् िक बनाए िािे हैं | उति बारह भार् में प्रत्येक भार् मनुष्य के िीर्न के ककसी वर्शेष क्षेि को िथा ककसी वर्शेष अंग की जस्थति बिािा है | प्रत्येक भार् का वर्स्िृि अध्ययन अलग से ककया िायेगा | उदाहरिाथव प्रथम भार् मनुष्य के सामान्य शारीररक गठन र् मसर के सम्पबन्ध में बिािा है | चचि -१

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