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Book 3

१. शुभ फलदायी - १,४,८,१२,१३,१४,१७,२१,२२,२३,२४,२६,२७ कु ल १३ नक्षि शुभ िलदायी होिे हैं | २. मध्यम फलदायी - ५,७,१०,१६ कु ल चार नक्षि थोडा िल देिे हैं | ३. अशुभ फलदायी - २,३,६,९,११,१५,१८,१९,२०,२५ ये शेष दस नक्षि अशुभ िलदायी होिे हैं | चोरी गयी र्स्िु की प्राज्ि/अप्राज्ि के आधार पर - कु ल चार श्रेिी होिी हैं | अंध लोचन, मंद लोचन, मध्य लोचन एर्ं सुलोचन | १. अन्ध लोचन - ४,७,१२,१६,२०,२३,२७ अन्ध लोचन होिी है | इन नक्षिों में खोई र्स्िु पूर्व हदशा में िािी है और शीघ्र ममल िािी है | २. मन्द लोचन - ७,५,९,१३,१७,२१,२४ मंद्लोचन नक्षि हैं | खोई र्स्िु, पजश्चम हदशा में िािी है | प्रयत्न करने पर ममल िािी है | ३. मध्य लोचन - २,६,१०,१४,१८,२५ इन छह नक्षिों में चोरी गयी र्स्िु दक्षक्षि हदशा में िािी है | सूचना ममलने पर भी नहीं ममलिी | ४. सुलोचन - ३,८,११,१५,१९,२२,२६ इन ७ नक्षिों में र्स्िु उत्िर हदशा में िािी है | न िो र्स्िु ममलिी है और न कोई उसकी सूचना ममलिी है | वर्मशष्ट श्रेणियां - वर्मशष्ट पहचान र्ाले १७ नक्षिों की तनम्पनमलणखि ३ श्रेणियां हैं | १. पञ्चसंज्ञक नक्षर - अंतिम ५ नक्षि (२३,२४,२५,२६,२७) पंचंक संज्ञक नक्षि होिे हैं | इनमें पंचक दोष माना िािा है | ककसी भी प्रकार के शुभ कायव नहीं करने चाहहए | २. मूल संज्ञक नक्षर - ९, १०, १८, १९, २७, १ कु ल ६ नक्षि मूल संज्ञक हैं | इन नक्षिों में िन्मे बालक हेिु २७ हदन बाद उसी नक्षि के आने पर शांति पाठ एर्ं हर्न कराना शुभ माना गया है | ३. नक्षर गंडाि - कु छ नक्षिों की कु छ घहटयाूँ गंडाि श्रेिी में आिी हैं | यह समय सभी शुभ कायों के मलए अशुभ माना िािा है | इनमें ३ नक्षिों (१,१०,१९) की प्रारंभ की २ घटी िथा ३ नक्षिों की (९,१८,२७) की अंिररम २ घटी होिी हैं | इसके अलार्ा कु छ संज्ञाएूँ और ममलिी हैं |

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