ज्योतिष शास्त्र प्रक्कथन अभी मैने कु छ समय पूर्व यथा संभर् ज्योतिष का अध्ययन प्रारंभ ककया है । बहुि ढूंढने के बाद भी मुझे एक ऐसी पुस्िक नहीं ममली जिससे मुझ िैसा तनपट गंर्ार व्यजति एक ही िगह पर ज्योतिष के मूलभूि ित्र्ों से लेकर उसकी गूढ़ संरचनाओं को समझ सके । या िो पुस्िकें बङी ही गूढ़ हैं और ज्योतिष के ककसी एक वर्षय पर आधाररि है या किर सीधा िमलि ज्योतिष से प्रारंभ है तयोंकक गणिि िो आिकल कम्प्यूटर कर लेिा है । िबकक ज्योतिष िो त्रिस्कन्ध है यानी इसके िीन प्रमुख स्िम्पभ हैं – गणिि (होरा), संहहिा और िमलि | के र्ल िमलि पढ़ कर, मुझे नहीं लगिा कक मैं ज्योतिष का ज्ञान ले सकिा हूूँ | ज्योतिष का िो अथव ही ज्योति वपंडो का अध्ययन है, के र्ल कुं डली बांचने से मैं ज्योतिषी नहीं बन सकिा | मेरा मानना है कक यही कारि है की बहुि से ज्योतिवषयों की भवर्ष्यर्ािी ६०% सही और ४०% गलि या प्रायः गलि होिी हैं | एक वर्श्र्प्रमसद्ध ज्योतिषी के घर िन्म ले कर भी मैने ज्योतिष का आरजम्पभक आधा ‘ि्’ िक नही पढा, मुझ िैसा मूढ और भाग्यवर्हीन कौन हो सकिा है | जिस ज्योतिष को मैं सुना करिा था की सारा रेखागणिि, बीिगणिि, खगोल वर्ज्ञानं सब ज्योतिष की ही शाखाएं हैं, अब लगिा है कक यह ज्योतिष ककिना र्ृहद है | इसका पूरा अध्ययन के मलए िो पूरा िीर्न भी कम पड़ िाए | सोचिा हूूँ, कक यहद र्ेदों का एक अंग ज्योतिष इिना र्ृहद है और इसमें इिना ज्ञान है िो र्ेदों के बाकी अंग मशक्षा, छंद शास्ि, व्याकरि शास्ि, तनरुति और कल्प में ज्ञान का ककिना अथाह सागर होगा | जिस सागर में मेरे वपिािी सारी उम्र गोिे लगािे रहे, मैं उसके छीटें लगा कर ही इिना आनंहदि, रोमांचचि और शीिल अनुभर् कर रहा हूूँ िो उनका अनुभर् कै सा वर्लक्षि रहा होगा | गीिा में मलखा है कक ये संसार उल्टा पेड़ है | इसकी िड़ें ऊपर और शाखाएूँ नीचे हैं और मुझे अब ये र्ातय समझ में आ रहा है | हम िो र्स्िुिः उस पेड़ की एक पत्िी का ही अध्ययन